Sunday, February 6, 2022

क्रिप्टोकरेंसी – साम्राज्यवादी शक्तियों के शोषण का हथियार _ प्रो. तोटा. ज्योती रणी

क्रिप्टोकरेंसी एक नकली, डिजिटल और आभासी मुद्रा है। यह कानूनी रूप से अवैध है। हाल ही में पहली क्रिप्टोकरेंसी, बिटकोइन जो 2009 में उभर कर आयी थी, का मूल्य 66900 डॉलर तक पहुंच गया है, जो इस नकली मुद्रा के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते कारोबार और लेन-देन की तरफ इशारा करता है। यह इस कथन को मजबूती देता है कि "क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना मतलब कम समय में ज्यादा पैसे कमाना है। इसके परिणामस्वरूप नौजवानों में लालच बढ़ रहा है खासकर भारत में जहाँ वह कुछ कंप्यूटर जानकारी रखते हैं। जिससे क्रिप्टोकरेंसी की मांग और इससे संबंधित लेन-देन में बेतहाशा बढोतरी हुई है। इस पूरी प्रक्रिया में ज्यादातर लोग कभी न खत्म होने वाले कर्ज में फंस जाएंगे। खम्मम, तेलांगना के एक निजी अध्यापक का आत्महत्या करने को मजबूर होना क्रिप्टोकरेंसी के जुए का चरम स्तर का एक नमूना है। इसने मुख्यधारा के मीडिया को इस पहलू पर बातचीत करने के लिए मजबूर कर दिया और एक राष्ट्रीय चौनल प्रतिदिन सुझाव देते हुए स्पॉटलाइट्ट कार्यक्रम में प्रसारित कर रहा है कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कैसे करें।

जुआ प्रवत्ति के साथ इसके गहरे संबंध को देखते हए यह अर्थव्यवस्था के साथ-साथ लोगों के लिए भी हानिकारक है। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को इसकी उच्च अस्थिर कीमतों को देखते हुए प्रतिबंधित किया जाना चाहिए जो इसमें निवेश करने वाले बहुसंख्यकों के जीवन को खतरे में डालता है। इसके विपरीत, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबधित स्वेदेशी जागरण मंच, जोकि आर्थिक मुद्दों पर अपनी राय रखता है, उसने क्रिप्टोकरेंसी पर लगे प्रतिबंध का कड़ा विरोध किया, बल्कि उसके अनुसार सरकार को क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देनी चाहिए क्योंकि बहुत से लोगों ने इसमें निवेश किया है। संसद के शीतकालीन सत्र में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा क्रिप्टो करेंसी के लिए विधेयक पेश करने के बयान से सरकार की इस नकली करेंसी को बढ़ावा देने की मंशा जाहिर होती है। सितंबर 2021 में नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनामिक रिसर्च द्वारा आयोजित सम्मेलन में प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि किसी भी देश के लिए क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना एक गंभीर चुनौती है। इसलिए विभिन्न देशों के आपसी सहयोग से क्रिप्टोकरंसी पर एक अंतरराष्ट्रीय नीति तैयार करना बेहद जरूरी है। यह स्पष्ट रूप से इस तथ्य को दिखाता है कि वैश्विक स्तर पर नकली मुद्रा के तेज, त्वरित और व्यापक विस्तार के पीछे साम्राज्यवादी ताकतों का फायदा है। इसके अलावा क्रिप्टो बाजार में कदम रखने के लिये कम्पूटर की जानकारी होना एक जरूरी शर्त है। यही फायदा मौजूदा सरकार के सभी के लिए डिजिटल साक्षरता' प्राप्त करने के उत्साह के पीछे हो सकता है, जिसमें सभी को साक्षरता' का लक्ष्य पीछे छूट गया।

क्रिप्टोकरेंसी :

कानूनी रूप से अवैध होने के चलते इसका अस्तित्व सरकार या केन्द्रीय बैंकों से बिलकुल भी जुड़ा हुआ नहीं है। पैसे के लेनदेन को मान्य बनाने के लिए क्रिप्टोकरंसी एक ब्लॉकचेन नामक लेजर तकनीक का इस्तेमाल करती है जिसमें क्रिप्टोग्राफ सूचनाओं को संगठित करने के लिए ब्लॉकचेन रूप का उपयोग करती है। क्योंकि यह बहुत सारे कंप्यूटर में बिखरी हुई है इसलिए सरकारी नियंत्रण के दायरे से बाहर है। इसका दोहरा उपयोग संभव नहीं है इसलिए नकली नहीं बनाया जा सकता। मतलब नकली मुद्रा के लिए नकली मुद्रा बनाना संभव नहीं। वाह! दाँव खेलने के लिए ढेर सारे वैकल्पिक कोइन (सिक्के) जैसे लाइट कोइन, डौगी कोइन, पीर कोइन, एथेरियम जैसी 6000 मुद्राएं अभी पैदा हुईं और प्रचलन में हैं। 2009 में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किया गया बिटकॉइन एक अज्ञात व्यक्तिगत समूह सतोशी नाकामोतो द्वारा बनाई गई पहली मुद्रा थी। 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के पैदा होने के पीछे। एक तर्क खुब प्रचारित प्रसारित किया गया कि इसकी मुख्य वजह थी रुपये की आपूर्ति, जिसका नियंत्रण राष्ट्रीय सरकारों के पास है। इसलिए बिटकॉइन का एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर पैदा होना समस्या का समाधान है। इस तरह सरकार केंद्रीय बैंक और रिजर्व बैंक से रुपये का नाता तोड़ने की प्रक्रिया शुरू हुई। अगस्त 2021 तक 188 मिलियन बिटकॉइन प्रचलन में आगये, जिनका बाजार मूल्य 69.9 अरब डॉलर है। बिटकॉइन, जिसे वैकल्पिक वैश्विक मुद्रा के तौर पर लोकप्रिय बनाया गया है, इसे अमेरिकी डॉलर के रूप में व्यक्त किया जाता है, यह एक गंभीर अंतर्विरोध है।

कुल 21 मिलियन बिटकॉइन बनाये गए हैं, एक बार जब | वे उन्हें खनन के साथ बाहर निकालते हैं, तो उनकी संख्या नहीं बढ़ाई जा सकती। हालाँकि, बहुत सारे वैकल्पिक कोइन्स पहले ही बना लिए गए हैं। अगस्त 2021 तक उनका कुल मूल्य दो ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा है। जिसमें बिटकॉइन की हिस्सेदारी 40.5 प्रतिशत है।

क्रिप्टोकरेंसी के समर्थन में तर्क- यह क्या संकेत देते हैं?

क्रिप्टोकरेंसी, जोकि एक नकली करेंसी है उसे वास्तविक वैश्विक मुद्रा के तौर पर लोकप्रिय बनाया जा रहा है जिसका उद्देश्य सरकार या केन्द्रीय बैंक के पैसों की आपूर्ति के एकाधि कार को तोडना है। इस प्रकार इसका उद्देश्य पैसों की आपूर्ति को निजी करना है। क्रिप्टोकरेंसी पूरी दुनिया की पहुँच में होगी। इसका मतलब नकली मुद्रा का चरित्र वैश्विक है। यह पैसों की आपूर्ति के निजीकरण और वैश्वीकरण को मजबूत करता है।

पैसों की आपूर्ति के बढ़ने से महंगाई की समस्या को | बिटकॉइन की निश्चित आपूर्ति से पूरा किया जाएगा। लेकिन हजारों दूसरे उभरते वैकल्पिक कोइन का क्या?

वास्तव में क्रिप्टोकरेंसी से होने वाला लाभ हास्यास्पद है। कम लागत, आसान स्थानान्तरण और सरकार के दखल न होने को एक कुशलता के रूप में बताया जा रहा है। साथ ही साथ कानूनी मान्यता प्राप्त टेंडर के प्रसार के लिए एक विशाल बैंकिंग नेटवर्क की जरुरत पड़ती है। जोकि काफी महंगा पड़ता है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी के हस्तांतरण के लिये ऐसा कुछ जरुरी नहीं। क्रिप्टोकरेंसी की आपूर्ति बाजार की ताकत द्वारा निर्धारित है जोकि उनके लिये सार्थक है, अपने आरंभ से ही क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास लाखों डॉलर की हैकिंग और चोरी को दर्शाता है। जिसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हवाला कारोबार और आपराधि क मामलों में हुआ है। हैकिंग और चोरी के चलते क्रिप्टो एक्सचेंज द्वारा अचानक दिवालियेपन की घोषणा से आम लोग  जिन्होंने क्रिप्टो सम्पत्ती में निवेश किया उन्हें नुकशान होता है। दुनिया का सबसे बड़ा बिटकोइन एक्सचें एमटी गोक्स ने 2014 में चोरी के कारण 473 मिलियन डॉलर की कीमत के 8 लाख 50 हजार बिटकोइन खोये, जिसके बाद इन्होने दिवालियापन घोषित किया जिसका सबसे बड़ा नुकशान आम लोगों को हुआ। होमेरो जोश गरजा जिसने स्टार्टअप की शुरुआत की थी उसपर धोखाध डी करने के कारण 9.1 बिलियन डॉलर का जर्माना लगा। इसी तरह नवम्बर 2017 में टेथर एक्सचेंज, 2018 में बिटकोइन गोल्ड, जुन 2018 में कोरियन एक्सचेंज लाखों डॉलर की क्रिप्टोकरेंसी की चोरी का शिकार हुए। नकली मुद्रा के लिये नकली वेबसाइट आम है। यह ध्यान देने वाली बात है कि इतने अधिक नुकसानदेह परिणामों के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ और प्रभावशाली देश क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाने और इसके खिलाफ कार्यवाही करने से कतरा रहे हैं।

अनेकों देशों ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया :

एमटी गोक्स की अचानक दिवाल्यापन की घोषणा की प्रतिक्रिया में यूके, अमरीका और यूरोपियन यूनियन ने क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने के लिये जांच पड़ताल शुरू की है। हालांकि इन्होंने इसे प्रतिबंधित करने का कोई फैसला नहीं लिया। इस दौरान लोगों को आकर्षित करने के लिए जागरूक अभियान, मंच, एक्सचेंज, विज्ञापन आदि बनाये गये, साथ ही क्रिप्टोकरेंसी से सम्बंधित नेटवर्क भी वैश्विक स्तर पर मजबूत हुए हैं। मार्च 2018 में क्रिप्टोकरेंसी ने मरीयम वेबस्टर डिक्शनरी और उसके बाद ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में जगह हासिल की। यूरोपियन यूनियन की संसद ने क्रिप्टोकरेंसी को परिभाषित किया। इस प्रकार इन सबने इसे स्वीकार करने के लिये एक रास्ता तैयार किया।

2008 में अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल क्रुगमैन ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी ने दुनिया में काले धन को वैध करने के काम को बढ़ाया है और यह एक बुलबुला है जो खत्म नहीं होगा। जबकि अमरीकी शेयर होल्डर वारेन बफेट ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी काले धन को वैध करने का सूचकांक है जिसका अंत बुरा होगा। 2021 में ही केवल सभी सरकारों ने क्रिप्टोकरेंसी के नियंत्रण की जरुरत पर बात करनी शुरू किया। भारत समेत 38 देशों की सदरस्यता वाले वित्तीय कार्रवाही कार्य बल" ने जोर देकर कहा कि हवाला कारोबार पर क्रिप्टोकरेंसी के प्रभाव को देखते हुए इसे नियंत्रित किया जाना चाहिए और साथ ही जून 2020 में ट्रेवल रूल में सुधार कर इसके लेन-देन का मानकीकरण तैयार किया।

सितम्बर 2020 में यूरोपीय आयोग ने डिजिटल फाइनेंस पर अपनी रणनीति प्रकाशित की, जबकि अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग ने इसे जांचना आरंभ किया वहीं यूके ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित सभी फार्मों को वित्तीय आचार प्राधि करण में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।

जी-10 देशों के समूह के केन्द्रीय बैंक गवर्नर द्वारा निर्देशित बैंकिंग देखरेख की 'बासल कमिटी' ने प्रस्तावित किया कि यदि कोई बैंक क्रिप्टो सम्पत्ति को लेता है तो उसे पहले से ही अनुमानित घाटे के बराबर पैसों को अलग रखना होगा। मई 2021 में चीन ने क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित सभी लेन-देन पर रोक दी। दक्षिण अफ्रीका कई घोटालों का सामना किया जिसमें सबसे महत्वपूर्ण राएस कैगी और अमीर कैगी का गायब होना है। जोकि 'अपरीक्रिप्ट एक्सचेंज' के संस्थापक हैं जिनके पास अप्रैल 2021 में 3.8 बिलियन डॉलर के बिटकोइन थे। इसी तरह 'मिरर ट्रेडिंग इंटरनेशनल' जिसके पास 170 मिलियन डॉलर थे वह अचानक खत्म हो गया। इसलिए सरकार 2022 में इसके लेन-देन को लेकर नियम कानून बना रही है। दक्षिण कोरिया ने मार्च 2021 से नये कानून बनाए जिसमें क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित सभी फर्म कोकोरिया फाइनेंस इंटेलिजेंस यूनिट' में पंजीकरण कर सूचना सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली से प्रमाणपत्र लेना होगा। अप्रैल 2021 में टकी गणराज्य ने क्रिप्टो सम्पत्ति को क्रिप्टोकरेंसी से खरीदने पर रोक लगायी। इसके उलट 2021 में अल सल्वाडोर ने बिटकोइन का कानून रूप स्वीकार किया जबकि अगस्त 2021 में क्यूबा ने इसे अपनाया।

नवंबर 2021 में क्रिप्टोकरंसी को लेकर देशों के दृष्टिकोण की समीक्षा करने वाली कांग्रेस ने कहा 113 देशों के व्यापारिक संगठन क्रिप्टो करेंसी और क्रिप्टो संपत्ति को लेकर कानून बना रहे हैं जबकि 42 देशों ने क्रिप्टोकरंसी पर रोक लगाई है जिसमें पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने वाले देश अल्जीरिया, बांग्लादेश, चीन, नेपाल, इजिप्ट, इराक, मोरक्को और ट्यूनीशिया हैं।

क्रिप्टो संपत्ति और वैधता :

अमेरिकी इंटरनेशनल रिवेन्यू सर्विस ने 2014 में बिटकॉइन को संपत्ति के रूप में मान्यता दी जिसके बाद उस पर टैक्स लगाया। कानूनी मान्यता के साथ बिटकॉइन को आयकर आयकर रिटर्न भरने चाहिए। बिग वॉल स्ट्रीट ने 17 मार्च 2017 में घोषणा की वह अपने अमीर ग्राहकों को बिटकॉइन के बदले धन उपलब कराएगा। जबकि कॉरपोरेट जगत की सबसे बड़ी कंपनी बी एन वाई मिलन ने 11 फरवरी 2021 से क्रिप्टो करेंसी में सेवाएं उपल || कराने की घोषणा की। अप्रैल 2020-21 से वेनमो डिजिटल वॉलेट सर्विस देने वाली कंपनी ने अपने 60 मिलियन ग्राहको छात्रों और छोटे उद्योगपतियों को क्रिप्टोकरंसी में लेनदेन और जमा करने के लिए एक मंच तैयार किया। पीटर्सबर्ग विश्वविद्यालय के श्लेजर पीर रिव्यू जर्नल में क्रिप्टो करेंसी से संबंधित लेख प्रकाशित होंगे । यह सभी अमेरिका द्वारा क्रिप्टो करेंसी को मान्यता देने के प्रमाण हैं।

अमेरिकी रेड क्रॉस, यूनिसेफ और यूएन वर्लड फूड प्रोग्राम ने क्रिप्टो करेंसी में दान लेने की हामी भरी ताकि क्रिप्टो करेंसी और संपत्ति को मजबूती से लागू किया जा सके ।

भारतीय क्रिप्टोकरंसी :

भारत की बहुचर्चित हस्ती अमिताभ बच्चन और उनके लड़के अभिषेक बच्चन ने 2015 में सिंगापुर फार्म मेरिडियन टेक पीटीई से ढाई लाख डॉलर की क्रिप्टोकरंसी में निवेश किया जिसकी 2017 में कीमत 17.5 मिलियन डॉलर है । इस सबने भारतीय युवाओं को क्रिप्टोकरंसी में निवेश को बढ़ावा दिया और उसे लोकप्रिय बनाया जिससे मंदी के दौर में कम समय में आसानी से विलासिता पूर्ण जीवन जिया जा सके। इसी के परिणाम स्वरूप 2017 में पहला भारतीय क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज अस्तित्व में आया, जिनमें कुछ इस प्रकार हैं - कोइन स्विच कूबर, कॉइन डीसीएक्स, वजीर एक्स, जेड पे जिसमें अमिताभ बच्चन खुद कॉइन डीसीएक्स के ब्रांड अंबेसडर हैं।

शुरूात में इसे बढ़ावा देने वाले सोच रहे थे कि यह सिर्फ महानगरों तक सीमित रहेगा लेकिन जल्दी ही यह शहर और कस्बों में फैल गया। अभी यह लगभग 4000 शहरों तक फैला हुआ है और इसमें निवेश करने वालों की औसत उम्र 25 साल है। ब्रोकर पोर्टल , ब्रोकर जूसर की अक्टूबर 2021 की रिपोर्ट बताती है भारत दुनिया में क्रिप्टो मार्केट में निवेश करने वाला प्रथम देश (10 करोड़ निवेशक) जबकि अमरीका 2.74 करोड़ निवेशकों के साथ दूसरे स्थान पर है ।

क्रिप्टोकरंसी को लेकर भारत शुरुआत में मजबूत स्थिति में नहीं था । भारतीय रिजर्व बैंक ने 2018 में क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाया जिसे 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया । हालांकि प्रतिबंध के दौरान क्रिप्टो करेंसी से संबंधित गतिविधियां बंद नहीं हुई लेकिन खत्म होने पर इसने तेज गति हासिल जरुर की। अधिक व्यस्तता के बावजूद विस्तार नहीं रुका। निवेशक जानते हैं श्यह एक बड़ा जुआ हैश् वे इस अनुमान के साथ निवेश करते हैं की बुद्धिमत्ता और समझदारी से हानि नहीं होगी | जल्दी से अधिक पैसा कमाना एक बड़ी कमजोरी है यह लालच युवाओं के दिमाग पर मजबूती से असर करता है। इसलिए लोग इस बात को सुनना ही नहीं चाहते कि क्रिप्टोकरंसी एक नकली मुद्रा है। सबसे बड़े स्टॉक ब्रोकर जीरोधा का उपयोग करने वाले 7 मिलियन लोग हैं , जबकि कॉइन स्विच कुबर क्रिप्टो एक्सचेंज के 11 मिलियन । इसके अलावा, भारत से क्रिप्टो करेंसी में 40 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश है ।

कानूनी सुरक्षा की अनुपस्थिति के बावजूद क्रिप्टो करेंसी के उपयोगकर्ता भारत में अंधाधुंध गति से बढ़ रहे हैं।

हाल ही में फ ई एम् ए की जांच में वजीर एक्स ने 2700 करोड़ रुपये की लेनदेन में कानून का उल्लंघन किया। जर्मनी यूएसए , यूके , स्वीटजरलैंड और ऑस्ट्रेलिया की शिकायत पर कॉइन स्विच कुबर ने 80,000 खाते वजीर एक्स ने 14469 खाते बंद कर दिए।

भारत में 2017 को आंतरिक मंत्रालय ने एक हाई लेवल कमेटी को आभासी मुद्रा को समझने और उस पर प्रस्ताव रखने के लिए गठित किया। कमेटी ने 28 फरवरी 2019 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें दो बातें थीं (1) क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध T के लिए संसद में एक कानून लाया जाए (2) आरबीआई द्वारा लागू की गई डिजिटल करेंसी के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनानी चाहिए ।

सुप्रीम कोर्ट के वकील और साइबर लॉ एक्सपर्ट डॉ प्रणव दग्गल ने कहा कि क्रिप्टोकरंसी लोगों के साथ अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारक है । आईपीएल 2022, आईसीसी मैच, 20 वर्लड कप क्रिकेट में युवाओं को आकर्षित और भ्रमित करने वाले विज्ञापनों पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए । यह सोचने वाली बात है कि नासकॉम ने क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध का विरोध किया है। इसके अलावा हमारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंशा जाहिर की कि संसद में क्रिप्टोकरंसी पर विधेयक पारित किया जाएगा पर प्रतिबंध से संबंधित बिल नहीं लाया जाएगा। विशेषज्ञ आकलन कर रहे हैं कि प्रस्तावित विधेयक क्रिप्टो संपत्तियों कोनिवेश के रूप में मान्यता देगा और इसलिए, उस पर पूंजीगत लाभ के रूप में टैक्स कर लागू करेगा।

यह सब स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि क्रिप्टो करेंसी त्वरित गति से बढ़ेगी।

क्रिप्टो करेंसी -पर्यावरण पर प्रभाव :

क्रिप्टो करेंसी की गतिविधियाँ, इसके खनन से संबंधित और काम के सबूत बड़ी मात्रा में बिजली की खपत करते हैं और भारी मात्रा में कार्बन फुटप्रिंट छोड़ते हैं। इस तरह, इसकी पैदाइश महंगी और पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इसलिए यह कहना हास्यास्पद है कि इसका निर्माण सस्ता है। अकेले 2017 में बिटकॉइन खनन से 943 मेगावाट बिजली खर्च हुई। बिटकॉइन, एथेरियम, लिटकोइन और मोनेरो की कार्य ब्लॉक श्रृंखलाओं का सबूत बनाने में जनवरी 2016 से जून 2017 के दौरान 3 से 15 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन हुआ । सितंबर 2021 में यह अनुमान लगाया गया कि अकेले बिटकॉइन का वार्षिक इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्सर्जन 30.7 मीट्रिक किलो टन और कार्बन फुटप्रिंट कचरा उत्सर्जन 95.90 मीट्रिक टन है। इसके अलावा, अकेले बिटकॉइन की वार्षिक बिजली खर्च 201.89 जू है। इस तरह, क्रिप्टोकरेंसी का विस्तार किसी दूसरे काम के लिए बिजली नहीं छोड़ेगा। इसके अलावा, यह पर्यावरण और जलवाय परिवर्तन जैसे मामले के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक है।

निगमीकरण की ओर : क्रिप्टो करेंसी जुआ का दूसरा नाम है। अक्टूबर 2021 में ऑस्ट्रेलिया में एसीएक्स एक्सचेंज अचानक यह कहते हुए ढह गई कि उसने + 50 मिलियन की क्रिप्टोकरेंसी खो दी है। इसी तरह, एक अन्य एक्सचेंज माईक्रिप्टो वॉलेट-जिसके लेन-देन सैकड़ों हजारों अमेरिकी डॉलर के हैं, अचानक दिवालिया घोषित हो गया। दूसरी तरफ, यह भी साबित होचुका है कि हवाला, आपराधिक और अवैध गतिविधियों के लिए क्रिप्टो करेंसी सबसे अच्छा वित्तीय साधन है। एकाधिकारी पूँजीवाद की प्रवत्ति में साम्रज्यवादी लूट और शोषण को मजबूत करने की प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से दुनिया के अपराधीकरण को मजबूत करती है, यही आज की सच्चाई है। वे एक दूसरे को मजबूत करते हैं। वे साथ रहते हैं। लेकिन, इसके ठीक उल्टा प्रचार करते हैं कि कि यह सब केवल आम लोगों के फायदे के लिए है। भारतीय नौजवान जो इस विकृत दुष्चक्र में फंसे हुए हैं, हमेशा कहते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी के जुए में बुद्धिमान लोग कभी नुकसान नहीं उठाएंगे। जब क्रिप्टो विनमय द्वारा दिवालियापन की अचानक घोषणा हो जाय तो इसमें किसी निवेशक की व्यक्तिगत बुद्धिमानी की क्या भूमिका है ?

भारत में प्रमुख ताकतों के लिए क्रिप्टो करेंसी सॉफ्टवेयर में लगे युवाओं के साथ इकट्ठा हुई पूंजी को स्थानांतरित करने के लिए एक मजबूत उपकरण है । इसलिए, यह निगमीकरण की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि, क्रिप्टोकरेंसी के फैलने का मजबूत कॉर्पोरेट शक्तियों द्वारा दिए गए समर्थन से गहरा नाता है। एलोन मस्क, टेस्ला इंक के सीईओ और स्पेस एक्स, ट्विटर के सीईओ, जैक डोर्सी क्रिप्टो करेंसी स्वीकार करते हैं और इसका भरपूर मालिकाना उनके पास था। अल्फाबेट इंक,गूगल की एक सहायक कंपनी के सीईओ सुंदर पिचाई गर्व से कहते हैं कि उनका 11 साल का बेटा इथेरियम माइनिंग कर रहा है। इसी तरह, मार्क जुकरबर्ग, सीईओ फेस बुक के, एप्पल के सीईओ, टिम कुक ने कहा कि वे बिटकॉइन के मालिक हैं। इसके अलावा जेफ रे प्रेस्टन बेजोस, संस्थापक और अमेजन के सीईओ का कहना है कि वह बिटकॉइन्स और एथेरेयम के मालिक हैं। बिल गेट्स का दृढ़ मत है कि कानूनी निविदा के लिए क्रिप्टो करेंसी बेहतर है। इस तरह, सभी वैश्विक कॉर्पोरेट दिग्गज खुले तौर पर क्रिप्टो करेंसी यानी नकली करेंसी को बढ़ावा देते हैं और उसका समर्थन करते हैं।

डॉगी कोइन का इतिहास बड़े रोचक ढंग से बयान करता है कि क्रिप्टो करेंसी को भले ही बना कोई भी ले, पर उसका अस्तित्व, विकास और मूल्य शक्तिशाली कॉर्पोरेट ताकतों द्वारा तय, निर्धारित और निर्देशित किया जाएगा। क्रिप्टो का उपहास उड़ाने के लिए 2013 में बिली मार्कर्स और जैक्सन पामर, दोनों सॉफ्टवेयर इंजीनियरों ने कुत्ते के लोगो के साथ कुत्ते के सिक्के बनाए जिन्हें मीम सिक्के कहा जाता है। यह उनके इंटरनेट समूह में प्रचलन में है। देखते ही देखते इसकी कीमत बढ़ने लगी। डॉगी सिक्के के सह-संस्थापक जैक्सन पामर ने समूह छोड़ दिया यह बताते हुए कि क्रिप्टो सिक्का शोषण का साधन है और संस्थापक को अमीर बना देगा। इस बीच, एलोन मस्क ने अपने ट्वीट में डॉगी कॉइन का समर्थन किया। दिलचस्प बात यह है कि उनके हर ट्वीट से डॉगी सिक्के के मूल्य में वृद्धि हुई। इसका बाजार 5 मई, 2021 तक पूंजीकरण मूल्य +5 बिलियन तक पहुंच गया और इसकी वार्षिक वृद्धि 20,000 गुना से अधिक हो गई। मार्क कुबेर ने घोषणा की कि वह अपने लेनदेन में डॉगी सिक्का स्वीकार करेगा इसके परिणामस्वरूप कुत्ते के सिक्के के लेन-देन में अचानक वृद्धि हुई। स्पेस एक्स ने 9 मई, 2021 को घोषित किया कि उसका पहला स्पेस मिशन डॉगी कॉइन के जरिए ही फंड जुटाएगा। इस तरह, मजाक उड़ाने के मकसद से बनाया गया सिक्का शक्तिशाली कॉर्पोरेट ताकतों की घोषणा के कारण महत्वपूर्ण क्रिप्टो करेंसी में से एक बन गया।

निष्कर्ष :

रुपये कि आपूर्ति को सरकार से हटाकर निजी करने की प्रक्रिया में क्रिप्टोकरेंसी पैदा हुई । साम्राज्यवादी शोषणकारी ताकतों के मुनाफे के साथ इसके गहरे नाते के चलते, इसका जल्दी ही वैश्वीकरण हो गया। इस तरह, क्रिप्टो मुद्रा का अस्तित्व, विस्तार और विकास कॉर्पोरेट ताकतों द्वारा निर्देशित ढांचे में होगा। यह आम लोगों को लूटने का एक मजबूत वित्तीय साधन है। साम्राज्यवादी शोषक ताकतें हमेशा शोषण के साधन खोजती हैं। इसलिए शोषणकारी व्यवस्था उखाड़ फेंकना चाहिए जिससे हर तरह के शोषण उपकरण खत्म हों। यही मजबूत जनांदोलनों के खड़े होने की शर्त है।

 

Translation article from CLASS STRUGGLE January, 2022

e-mail: clastrugle@yahoo.co.in

web site: www.classstruggle.in


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